*डॉ. भदन्त आनंद कौसल्यायन *
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*डॉ. भदन्त आनंद कौसल्यायन यांचा
जन्म ५ जानेवारी १९०५ (पंजाब) रोजी झाला तर त्यांचा
स्मृतीदिन आहे. २२ जून १९८८ (नागपूर)
डॉ. भदन्त आनंद कौसल्यायन हे एक भारतीय बौद्ध भिक्खू, लेखक व पाली भाषेचे महान विद्वान होते. यासोबतच ते आयुष्यभर हिंदी भाषेचा प्रचार करित राहिले. १० वर्ष राष्ट्रभाषा प्रचार समिती, वर्धाचे प्रधानमंत्री राहिले. ते २०व्या शतकातील बौद्ध धर्माच्या सर्वश्रेष्ठ क्रियाशील व्यक्तिंमध्ये गणले जातात.
त्यांचा जन्म ५ जानेवारी १९०५ रोजी पंजाब प्रांतातील मोहाली जवळील सोहना या गावी खेत्री कुटुंबात झाला. त्यांचे वडील लाला रामशरणदास हे शिक्षक होते. त्यांचे लहानपणीचे नाव हरिनाम होते. १९२० मध्ये भदंत दहावीची परीक्षा पास झाले. भदंत १९२४ मध्ये १९ व्या वर्षी पदवी पास झाले. ते लाहोर मध्ये असतांना उर्दू भाषेत देखील लिहित असत.
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*भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भी भदन्त ने सक्रिय रूप से भाग लिया। वे भीमराव आंबेडकर और महापंडित राहुल संकृत्यायन से काफी प्रभावित थे। उन्होंने भिक्षु जगदीश कश्यप, भिक्षु धर्मरक्षित आदि लोगो के साथ मिलकर पाली त्रिपिटक का अनुवाद हिन्दीं में किया। वे श्रीलंका में जाकर बौद्ध भिक्षु हुए। वे श्रीलंका की विद्यालंकर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्यक्ष भी रहे।*
भदन्त ने जातक की कथाओ का ६ खंडो में पालि भाषा से हिंदी में अनुवाद किया। धम्मपद का हिंदी अनुवाद के आलावा अनेक पालि भाषा की किताबों का हिंदी भाषा में अनुवाद किया। साथ ही अनेक मौलिक ग्रन्थ भी रचे जैसे, 'अगर बाबा न होते', जातक कहानियॉं, भिक्षु के पत्र, दर्शन : वेद से मार्क्स तक, 'राम की कहानी, राम की जुबानी', 'मनुस्मृति क्यों जलाई', बौद्ध धर्म एक बुद्धिवादी अध्ययन, बौद्ध जीवन पद्धति, जो भुला न सका, ३१ दिन में पालि, पालि शब्दकोष, सारिपुत्र मौद्गाल्ययान् की सॉंची, अनागरिक धरमपाल आदि। आंबेडकर के 'दि बुद्धा एण्ड हिज् धम्मा' ग्रंथ का हिन्दी एवं पंजाबी अनुवाद किया है।
लिखित ग्रंथ - भिक्खु के पत्र, जो भूल न सका, आह! ऐसी दरिद्रता, बहानेबाजी, यदि बाबा न होते, रेल के टिकट, कहॉं क्या देखा, संस्कृति, देश की मिट्टी बुलाती है, बौद्ध धर्म एक बुद्धिवादी अध्ययन, श्रीलंका, मनुस्मृति क्यों जलायी गई?, भगवद्गीता की बुद्धिवादी समीक्षा, राम कहानी राम की जबानी, ऐन् इंटेलिजेण्ट मैन्स गाइड टू बुद्धिज्म, धर्म के नाम पर, भगवान बुद्ध और उनके अनुचर, भगवान बुद्ध और उनके समकालीन भिक्षु, बौद्ध धर्म का सार, आवश्यक पालि.
22 जून 1988 को भदन्त का नागपुर में महापरिनिर्वाण हो गया।
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