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समाजकारण /राजकारण

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हंसा मेहता


    

           *पद्मभूषण हंसा मेहता*

(समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद)


          *जन्म : 3 जुलाई, 1897*

              (सूरत, गुजरात)*

          *मृत्यु : 4 अप्रेल, 1995*               पिता- मनुभाई मेहता

पति : जीवराज मेहता

नागरिकता : भारतीय

प्रसिद्धि ; समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद

आंदोलन : सविनय अवज्ञा आन्दोलन

जेल यात्रा : 1930 और 1932 ई. में दो बार जेल गईं

पुरस्कार-उपाधि : पद्म भूषण (1959)

अन्य जानकारी : महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्नशील हंसा मेहता ने जेनेवा के 'अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन' में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

               हंसा मेहता एक समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद के रूप में भारत में काफ़ी प्रसिद्ध रही हैं। इनके पिता मनुभाई मेहता बड़ौदा और बीकानेर रियासतों के दीवान थे। हंसा मेहता का विवाह देश के प्रमुख चिकित्सकों में से एक तथा गाँधीजी के निकट सहयोगी जीवराज मेहता जी के साथ हुआ था। भारत के संविधान को मूल रूप देने वाली समिति में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। इन्होंने संविधान के साथ भारतीय समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हंसा मेहता इन्हीं में से एक थीं।

💁🏻‍♀️ *परिचय*

हंसा मेहता का जन्म 3 जुलाई, 1897 ई. को हुआ था। बड़ौदा राज्य में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक, जो बाद में बड़ौदा राज्य के दीवान भी रहे, सर मनुभाई मेहता के घर हंसा मेहता का जन्म हुआ। 'करन घेलो' जिसे गुजराती साहित्य का पहला उपन्यास माना जाता है, के उपन्यासकार नंद शंकर मेहता, हंसा मेहता के दादा थे। घर में पढ़ने-लिखने का महौल था तो हंसाबेन (हंसा मेहता) ने बड़ौदा के विद्यालय और महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र से बी.ए. ऑर्नस किया। एक संरक्षित माहौल में शिक्षा ग्रहण करने में हंसाबेन को अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा।

📚  *शिक्षा*

हंसाबेन जब पत्रकारिता की पढ़ाई करने इंग्लैड पहुंची, तब वहां उनकी मुलाकात सरोजिनी नायडू से हुई। सरोजिनी नायडू के साथ हंसाबेन महिला आंदोलन के बारे में दीक्षित तो हुई ही, सार्वजनिक सभाओं में भी शिरकत करना शुरू किया। सरोजनी नायडू के साथ वह एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जेनेवा भी गईं। पत्रकारिता की पढ़ाई खत्म करके हंसाबेन अमेरिका की यात्रा पर गईं, जहां वह शिक्षण संस्थाए, शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्य सम्मेलनों में शामिल हुईं, मताधिकार करने वाली महिलाओं से मिलीं। हंसाबेन सैन फ्रांसिस्को, शंघाई, सिंगापुर और कोलंबो होती हुईं भारत आईं। अपनी यात्रा के अनुभवों को 'बॉम्बे क्रॉनिकल' में प्रकाशित किया।

👩‍❤️‍👨 *अंतरजातीय विवाह*

उस दौर में प्रतिलोम विवाह दूसरे शब्दों में अपने से निचली जाति में विवाह समाज को स्वीकार्य नहीं था। यह सामाजिक संरचना के विरुद्ध जाकर बहुत बड़ा कदम था।

           हंसा मेहता ने डॉ. जीवराज एन. मेहता से विवाह करना तय किया तो नागर गृहस्थ समाज में शोर मच गया। ऊंची जाति का वैश्य के संग विवाह के प्रतिरोध के लिए गुजरात से बनारस तक में सभाएं की गईं और उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया गया। इन सब चीज़ों से हंसाबेन विचलित नहीं हुईं और कहा- "जब जाति से बहिष्कृत हो ही चुकी हूं तो विवाह स्थगित करने का कोई तुक नहीं है"।


हंसा मेहता के पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों के अनुमोदन से 3 जुलाई, 1924 को वह हंसाबेन से हंसा मेहता हो गईं। विवाह के पश्चात हंसा मेहता बंबई (वर्तमान मुंबई) आ गईं, जहां पति ने किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल और जीएस मेडिकल कॉलेज में डीन का पद संभाला। बंबई हंसा मेहता की क्षमताओं के विकास के लिए अनुकूल शहर था। यहां हंसा मेहता ने शैक्षणिक और सामाजिक कल्याण की गतिविधियों में वक्त देना शुरू किया। वह गुजरात महिला सहकारी समिति, बंबई नगरपालिका विद्यालय समिति, राष्ट्रीय महिला परिषद, अखिल भारतीय महिला सम्मेलन आदि संस्थाओं से जुड़ी रहीं।


✍️📕  *रचनाएं*

हंसा मेहता ने गुजराती भाषा में बच्चों के लिए बाल साहित्य अनुवाद करना उस दौर में शुरू किया, जब बच्चों के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं था। उस समय केवल गिजूभाई मधोका बाल साहित्य के लिए गंभीरता से कार्य कर रहे थे। हंसाबेन ने 'बालवार्तावली' तैयार की, जो बाल कहानियों का संग्रह था। इसके बाद उन्होंने 'किशोरवार्तावली', 'बावलाना पराक्रम', 'पिननोशियों का अनुवाद', 'गुलिवस ट्रैवल्स' का अनुवाद किया। विभिन्न देशों की यात्रा का वर्णन उन्होंने 'अरुण नू अद्भुत स्वप्न', 'एडवेंचर्स ऑफ विक्रम', 'प्रिंस ऑफ अयोध्या' भी प्रकाशित किया।


हंसाबेन ने शेक्सपियर के नाटकों का गुजराती अनुवाद, वाल्मीकि रामायण का संस्कृत से गुजराती अनुवाद किया। इसके साथ ही फ्रेंच भाषा की कुछ रचनाओं का भी गुजराती अनुवाद प्रकाशित किया। अंग्रेज़ी में तीन पुस्तिकाएं प्रकाशित की- 'वीमेन अंडर द हिंदू लॉ ऑफ मैरिज एंड सक्सेशन', 'सिविल लिर्बिटी' और 'इंडियन वुमेन'। बच्चों के लिए बाल साहित्य तैयार करना और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होते हुए कई समितियों से जुड़ा होना हंसा मेहता के व्यक्तित्व का एक छोटा सा परिचय है। 1930 में जब हंसाबेन गाँधी जी के साथ जुड़कर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ीं तो उनके व्यक्तित्व का बहुआयामी पक्ष उभरकर सामने आया। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी में 1932 और 1940 में उनको जेल भी जाना पड़ा।

💁🏻‍♀️ *संविधान सभा सदस्य*

स्वतंत्रता के बाद हंसा मेहता उन 15 महिलाओं में शामिल थीं, जो भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली घटक विधानसभा (Constituent Assembly) का हिस्सा थीं। वे सलाहकार समिति और मौलिक अधिकारों पर उप समिति की सदस्य थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं के लिए समानता और न्याय की वकालत की।

🎖️ *पद्म भूषण*

हंसाबेन ने महिलाओं के स्तर में सुधार के अपने उद्देश्य को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भी रखने की कोशिश की। संयुक्त राष्ट्र संघ के 'महिलाओं के स्तर' से संबंधित आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 'मानव अधिकारों का सार्वभौम घोषणापत्र' का प्रारूप तैयार करने वाले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह दर्जनों अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों में शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करती रहीं। उनके इन योगदानों के लिए उन्हें सन 1959 में 'पद्म भूषण' से विभूषित किया गया।

🪔 *मृत्यु*

कठिन परिस्थितियों में आशावादी रहने वाला लंबा जीवन जीते हुए 4 अप्रॅल, 1995 को अपने पीछे एक बड़े संघर्ष की पंरपरा छोड़कर चली गईं। महिलाओं के स्तर में सुधार के लिए उनके प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने सराहा और एक कालजयी विदुषी महिला के रूप उनके योगदानों को याद करता है।


        

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टी. बी. कुन्हा व गोवा मुक्ती संग्राम चाचणी

टी. बी. कुन्हा व गोवा मुक्ती संग्राम आधारित 20 प्रश्नांची चाचणी

1. टी. बी. कुन्हा यांना कोणत्या आंदोलनाचा जनक म्हणतात?
गोवा मुक्ती संग्राम
स्वदेशी आंदोलन
भारत छोडो आंदोलन
दलित आंदोलन
2. टी. बी. कुन्हा यांचे पूर्ण नाव काय होते?
त्रिस्टाव द ब्रागांसा कुन्हा
त्र्यंबक बळवंत कुन्हा
तात्या कुन्हा
त्रिलोचन कुन्हा
3. गोवा मुक्ती संग्राम कोणत्या देशाच्या विरोधात होता?
पोर्तुगीज
डच
ब्रिटिश
फ्रेंच
4. टी. बी. कुन्हा यांनी कोणते राजकीय संघटन स्थापन केले?
गोवा काँग्रेस
गोवा सेना
गोवा जनमोर्चा
गोवा राष्ट्र परिषद
5. ‘Denationalisation of Goa’ हे पुस्तक कोणी लिहिले?
टी. बी. कुन्हा
जवाहरलाल नेहरू
अटल बिहारी वाजपेयी
लोहिया
6. टी. बी. कुन्हा यांचे शिक्षण कुठे झाले?
पॅरिस
मुंबई
गोवा
लंडन
7. गोवा मुक्ती संग्रामाची सुरुवात कधी झाली?
1946
1961
1930
1919
8. गोवा भारतात कधी समाविष्ट झाला?
1961
1950
1956
1965
9. टी. बी. कुन्हा यांना कोणत्या तुरुंगात ठेवण्यात आले होते?
अंदमान
येरवडा
तिहाड
नागपूर
10. गोवा मुक्ती संग्रामात योगदान देणारे आणखी एक प्रसिद्ध नेते कोण होते?
राम मनोहर लोहिया
नेहरू
सरदार पटेल
डॉ. आंबेडकर
11. टी. बी. कुन्हा यांनी कोणत्या चळवळीत भाग घेतला नाही?
खेडा सत्याग्रह
गोवा मुक्ती संग्राम
पोर्तुगीजविरोधी लढा
भारत जोडो आंदोलन
12. टी. बी. कुन्हा यांचे निधन कधी झाले?
1958
1961
1950
1947
13. गोवा मुक्तीसाठी भारत सरकारने कोणती कारवाई केली?
सैन्य कारवाई
निवडणूक
करार
जनआंदोलन
14. गोवा मुक्ती दिन कधी साजरा केला जातो?
19 डिसेंबर
15 ऑगस्ट
26 जानेवारी
1 मे
15. टी. बी. कुन्हा हे कोणत्या पक्षाशी संबंधित होते?
काँग्रेस
भाजप
समाजवादी पक्ष
कोणताही नाही
16. गोवा मुक्ती संग्रामात कोणता विचारधारा होती?
राष्ट्रवाद
साम्यवाद
उदारमतवाद
फॅसिझम
17. टी. बी. कुन्हा यांना कशामुळे अटक झाली होती?
पोर्तुगीजविरोधी प्रचार
इंग्रजांशी संगनमत
आंदोलनातून परावृत्त
भ्रष्टाचार
18. गोवा मुक्तीनंतर गोवा कोणत्या केंद्रशासित प्रदेशात आला?
गोवा, दमण आणि दीव
मुंबई
केरळ
दिल्ली
19. गोव्याने स्वतंत्र राज्याचा दर्जा कधी मिळवला?
1987
1961
1971
1991
20. टी. बी. कुन्हा यांच्या कार्यामुळे कोणत्या विचारधारेचा प्रसार झाला?
स्वातंत्र्य व राष्ट्रवाद
कम्युनिझम
उदारमतवाद
निर्भीड पत्रकारिता